2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में एक ऐतिहासिक दिन था, जब लंबी 12 घंटे की बहस के बाद Waqf (Amendment) Bill, 2025 पास हुआ। इस बिल को 288 वोट मिले जबकि 232 सदस्यों ने इसका विरोध किया। यह कानून देशभर में गहरे चर्चाओं का केंद्र बन गया है, खासकर Waqf properties के प्रबंधन और धार्मिक व चैरिटेबल संस्थानों पर इसके प्रभाव को लेकर। इस ब्लॉग पोस्ट में जानेंगे Waqf का मतलब क्या है, इस बिल में क्या बदलाव हुए हैं, और क्यों यह amendment खबरों में है।

Waqf क्या है?
Waqf एक इस्लामिक कानून के तहत मुस्लिमों द्वारा धर्मार्थ या सार्वजनिक कार्यों के लिए स्थायी रूप से दी गई संपत्ति होती है। इस संपत्ति को न बेचा जा सकता है, न गिफ्ट किया जा सकता है और न इसके मालिकाना हक को बदला जा सकता है। मस्जिद, स्कूल, अस्पताल जैसे धार्मिक या सामाजिक संस्थान इसके अंतर्गत आते हैं। भारत में Waqf Act, 1995 के तहत इन संपत्तियों का प्रबंधन होता है।
Waqf (Amendment) Bill 2025 क्या है?
2025 का यह बिल Waqf Act, 1995 में महत्वपूर्ण संशोधन लाता है, जिसका मकसद Waqf संपत्तियों के प्रबंधन को और अधिक पारदर्शी, कार्यक्षम और सबको शामिल करने वाला बनाना है। इसे Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency and Development Act कहा जाता है.
बिल के प्रमुख बदलाव और फीचर्स:
- Waqf का स्वरूप बदलना: अब केवल ‘declaration’ और ‘endowment’ (धार्मिक या सामाजिक उद्देश्य के लिए संपत्ति का दान) के जरिये ही Waqf बनेगा, पहले की तरह ‘Waqf by user’ कंसेप्ट हटाया जा चुका है। इसका मतलब मौजूदा और नए ‘user-based’ Waqf को मान्यता नहीं मिलेगी.
- संपत्ति का सर्वेक्षण और पंजीकरण: राज्य के कलेक्टर या उप-संग्राहक संपत्तियों का सर्वेक्षण करेंगे, और पंजीकरण प्रक्रिया केंद्रीय पोर्टल द्वारा डिजिटल माध्यम से पारदर्शी तरीके से होगी.
- महिला अधिकारों की संवर्द्धना: महिलाओं (संतान-उत्तराधिकारी) का Waqf संपत्ति में हिस्सा सुनिश्चित किया गया है, यानी महिला वारिसों को अधिकार नहीं रोका जाएगा.
- Waqf बोर्ड में महिलाओं और गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व: केंद्रीय और राज्य Waqf बोर्डों में विभिन्न मुस्लिम संप्रदायों के साथ-साथ कम से कम दो मुस्लिम महिलाएं और गैर-मुस्लिम सदस्यों की अध्यक्षता अनिवार्य की गई है ताकि समावेशी प्रबंधन हो.
- संपत्ति विवादों का निपटारा: अब संपत्ति विवादों का निपटारा राज्य कलेक्टर के अधीन होगा, जिससे विवाद तेजी से सुलझेंगे.
- ट्रिब्यूनल प्रणाली में सुधार: Waqf ट्रिब्यूनल में दो सदस्यों की कमी कर तीन सदस्यों का गठन होगा और फैसलों के खिलाफ हाई कोर्ट में 90 दिनों के अंदर अपील की सुविधा.
Waqf Amendment Bill 2025 के फायदे
- Waqf संपत्ति के प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ेगी
- भ्रष्टाचार और दुरुपयोग कम होंगे
- महिलाओं और विभिन्न मुस्लिम समुदायों को बोर्डों में भूमिका मिलेगा
- विवाद निपटान प्रक्रिया आसान और तेज होगी
- डिजिटल पंजीकरण से रिकॉर्ड्स सुरक्षित और उपलब्ध रहेंगे
- सामाजिक कल्याण के लिए Waqf संपत्तियों का बेहतर उपयोग संभव होगा
विरोध और विवाद
विरोध और सुप्रीम कोर्ट में मामले चल रहे हैं इस बिल की संवैधानिकता और धार्मिक अधिकारों की रक्षा को लेकर.
मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्ग मानते हैं कि इस बिल से मुसलमानों की धार्मिक संपत्ति पर सरकार का नियंत्रण बढ़ेगा, जो धार्मिक स्वतंत्रता और समुदाय की स्वायत्तता में दखल माना जा रहा है.
‘Waqf by user’ धारा हट जाने से कई मौजूदा Waqf संपत्तियां मान्यता खो सकती हैं, जो आर्थिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण हैं.
Waqf (Amendment) Bill 2025 को लेकर लोग अक्सर जो सवाल पूछते हैं
सवाल 1: Waqf Amendment Bill से क्या बदलाव आएंगे?
जवाब: अब संपत्तियों का सर्वेक्षण और पंजीकरण डिजिटल तरीके से होगा, महिला वारिसों को बेहतर अधिकार मिलेंगे, बोर्डों में महिलाओं और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधि होंगे, और संपत्ति विवाद कलेक्टर के अधीन तेजी से सुलझेंगे।
सवाल 2: क्या इससे मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित होगी?
जवाब: बिल का उद्देश्य प्रबंधन सुधारना है, लेकिन कुछ लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता में दखल के रूप में देखते हैं। संविधान और धार्मिक अधिकारों की रक्षा को लेकर विरोध और कानूनी चुनौतियां भी हैं।
सवाल 3: Waqf संपत्ति का क्या मतलब है?
जवाब: Waqf संपत्ति वह है जो धार्मिक या सार्वजनिक लाभ के लिए मुस्लिम समुदाय द्वारा दान की गई स्थायी संपत्ति होती है, जैसे मस्जिद, स्कूल, या अस्पताल।
सवाल 4: क्या ‘Waqf by user’ का प्रावधान खत्म हो गया है?
जवाब: हाँ, इस बिल में ‘Waqf by user’ की कॉन्सेप्ट हटाई गई है, जिसका मतलब है कि सिर्फ declaration और endowment से ही Waqf माना जाएगा।
सवाल 5: Waqf बोर्ड में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कैसे सुनिश्चित होगा?
जवाब: बिल में कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं को बोर्ड में शामिल करने का प्रावधान है ताकि समावेशी और न्यायसंगत प्रबंधन हो सके।
